तानसेन का मकबरा ग्वालियर (Tansen Tomb Gwalior) शहर में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है, जो भारतीय संगीत के महान और प्रसिद्ध कलाकार तानसेन को समर्पित है। ग्वालियर के इस मकबरे में तानसेन के शव को उनके गुरु मुहम्मद गौस के साथ यहां दफनाया गया है।
मक़बरे का यहा आर्किटेक्चर और सजावट देखने वालों को प्राचीन समय की याद दिलाता है। यह कब्र उनके योगदान को समर्पित किया गया है। ग्वालियर जंक्शन से 3 किलोमीटर दूर, इसका निर्माण मुगल शासकों के काल में हुआ था। तानसेन का मक़बरा एक विशाल भव्य भवन है, मक़बरा के आस-पास की वातावरण और उसकी सुंदरता इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाती है।
तानसेन जीवन परिचय
तानसेन का जन्म 1506 में मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। तांसेन, जिनका असली नाम रामतनु नाथ था। तानसेन ने शिक्षा की शुरुआत संगीत से की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उनके गुरु के अलावा संगीत के क्षेत्र में कोई उनकी बराबरी नहीं कर सका।
तानसेन का विवाह
तानसेन का विवाह प्रेम कुमारी नाम की लड़की से हुआ था। उनका विवाह राजा मानसिंह की विधवा पत्नी रानी मृगनयनी ने कराया था, वे तानसेन के संगीत से बहुत प्रभावित थी। उन्होंने अपनी संगीत में शिक्षा पाने वाली प्रेम कुमारी ब्राह्मणी नाम की लड़की से तानसेन का विवाह कर दिया था।
प्रेम कुमारी के पिता ब्राह्मण थे। किंतु बाद में यहां परिवार मुस्लिम धर्म में दीक्षित हो गया। प्रेम कुमारी का इस्लामी नाम हुसैनी रखा गया। ब्राह्मण कन्या होने के कारण सभी उन्हें हुसैनी ब्राह्मणी कहकर पुकारते थे।
तानसेन अकबर के दरबार में कैसे पहुंचे
तानसेन रीवा के राजा रामचंद्र के दरबार में गायक थे। तानसेन के संगीत की कहानी चारों ओर फैली हुई थी। अकबर को इस संगीतकार के बारे में पता चला तो उन्होंने तानसेन को अपने दरबार में बुलाया और उनके संगीत को सुना तानसेन का संगीत सुनकर इतने खुश हुए और तानसेन को एक लाख सोने के सिक्के का इनाम दिया तभी से तानसेन अकबर के पसंदीदा गायक बन गए थे। तांसेन, जिन्हें मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में नौरतनिया कहा जाता था।
तानसेन की मृत्यु सन 1586 में आगरा शहर में हुई थी। उनके गायन की मिठास ने उन्हें भारतीय संगीत के इतिहास में अमर बना दिया।
Tansen Tomb Gwalior संगीत महोत्सव
हर साल नवंबर-दिसंबर महीने में, इस स्थान पर तानसेन संगीत महोत्सव आयोजित किया जाता है, जो संगीत प्रेमियों को अवसर देते हैं। यदि आप ग्वालियर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को अनुभव करना चाहते हैं, तो तांसेन का मकबरा और मोहम्मद घौस की कब्रें आपके लिए एक महत्वपूर्ण ठिकाना हो सकते हैं।
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