भारत में अनगिनत प्राचीन जगह घूमने का भंडार है उनमें से ही एक महत्वपूर्ण जगह है Bhimbetka Rock (भीमबेटका गुफाओं) यह जगह मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में स्थित हैं और भोपाल से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में स्थित हैं। इनकी खोज वर्ष 1957-1958 में डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। यह बहुत ही प्राचीन जगह है आज हम भीमबेटका की प्राचीन गुफाओं इतिहास और विशेषताओं के बारे में जानेंगे।
Bhimbetka Rock भीमबेटका गुफाओं का इतिहास
भीमबेटका मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित पठार के दक्षिणी किनारे में विंध्याचल सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित प्राचीन गुफाएं है। यह गुफा आदिमानव द्वारा निर्मित शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को काल पुरापाषाण से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। इनकी खोज वर्ष 1957-1958 में डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। तथा भोपाल मंडल ने इस जगह को 1990 में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद, 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी।
यहाँ हजारों वर्ष पुराने चित्र हैं, यहाँ की चट्टानों पर बनी चित्रकारी को लगभग 12,000 साल पहले का माना जाता है। इन गुफाओं में आज भी उस प्राचीन कला का संदेश देखा जा सकता है, जो हमें हमारे अतीत की याद दिलाता है।
भीमबेटका में करीब 500 गुफाएं हैं, जिनमें से कुछ को Archaeological Survey of India (ASI) ने पहचाना है। ASI द्वारा चिन्हित की गई गुफाओं में अन्य शोधकर्ता और पर्यटक आते हैं ताकि वे इस प्राचीन चित्रकला का आनंद ले सकें। इन गुफाओं में लाल, सफेद, पीला, और हरा रंग से सजी चित्रकारी का नजारा देखने को मिलता है। जो हमें प्राचीन समय की जीवनशैली के बारे में बताते हैं।
गुफाओं के चित्रों में लोग नृत्य, संगीत, घोड़ों और हाथियों की सवारी, करते हुए लोगों के चित्र बनाए गए हैं। इसके अलावा, चित्रों में बाघ, जंगली सुअर, हाथियों, कुत्तों और घड़ियाल जैसे जानवरों का भी वर्णन है। यहाँ के चित्र हमें हमारे पूर्वजों की जीवनशैली और उनके रहन-सहन के बारे में जानकारी देते हैं।
यहाँ के गुफाएँ हमें हमारी धरोहर की अहमियत और हमारे इतिहास के प्रति जागरूकता में भी सहायक होती हैं। भीमबेटका क्षेत्र में पाए गए खोज और अध्ययनों से पता चलता है कि यहाँ प्राचीन मानवों ने निवास किया था। इस स्थल का महत्व भारतीय इतिहास और संस्कृति में है। यहाँ की खोजें हमें हमारे पूर्वजों के जीवन और संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
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भीमबेटका नाम का रहस्य महाभारत काल से जोड़ा जाता है
भीमबेटका का इतिहास भारतीय महाकाव्य महाभारत से जुड़ा हुआ है। इस जगह का नाम महाभारत के महानायक भीम के नाम पर रखा गया है। मान्यता है कि भीमबेटका में पांडवों के भाई भीम ने गुफा में वनवास के दौरान विश्राम किया था। इसलिए इस जगह का नाम भीमबेटका पड़ा।
पत्थर की आकृति कछुए के समान
भीमबेटका में ‘रॉक कछुआ’ नामक एक दिलचस्प जगह है, जो गुफाओं से थोड़ी ऊपर पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ के पत्थरों की आकृति भी अद्भुत है, जो एक कछुए की शक्ल में हैं, जैसे कि एक कछुए पर दूसरा कछुआ बैठा हो। यहां एक प्राचीन मंदिर भी है जो लोगों के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है आप यहां जरूर आए हैं।
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Bhimbetka Rock (भीमबेटका) कैसे पहुंचे
भीमबेटका की दूरी भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर है आप यहां अपनी पर्सनल बाइक, कार से आसानी से पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग – भीमबेटका पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से भीमबेटका की दूरी लगभग 45 किमी है। एयरपोर्ट से भी आपको कैब, बस या टैक्सी मिल जाएगी। जिससे आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
ट्रेन मार्ग- भीमबेटका पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भोपाल है। भोपाल स्टेशन से भीमबेटका की दूरी लगभग 37 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन के बाहर आपको भीमबेटका के लिए आपको आसानी से टैक्सी या कैब मिल जाएंगी। जिससे आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
समापन:
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