भारत अपने प्राचीन किलों और महलों के लिए जाना जाता है उनमें से ही एक महल है Gohar Mahal (गौहर महल) जो कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है यह बहुत ही सुंदर महल है जिसका निर्माण 1820 ई. में बेगम कुदसिया जिसे गौहर बेगम के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने करवाया था आज हम इस महल के इतिहास एवं विशेषताओं के बारे में जानेंगे।
Gohar Mahal (गौहर महल) का इतिहास
भोपाल की ऐतिहासिक इस्लामी रियासत में, भोपाल के आठवें शासक के रूप में एक महिला शासक ने अपनी विशेष पहचान बनाई। उनका नाम था बेगम कुदसिया, जिन्हें गौहर बेगम के नाम से भी जाना जाता था। बेगम कुदसिया ने राजा भोज के द्वारा बनाए गए भोज ताल जिसे बड़ा तालाब और Upper Lake भी कहां जाता है उसके पास गौहर महल की नींव रखी। गौहर महल इस्लामी वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है।
गौहर महल, का निर्माण 1820 ई. में हुआ था और यह महिला शासक बेगम कुदसिया ने अपने शासनकाल में इसे अपने निवास के लिए बनवाया था। गौहर महल का निर्माण तकरीबन 4.5 एकड़ में करवाया गया था उस समय गौहर बेगम ने बेल्जियम से कांच मंगवाकर इस महल के दरवाजे और खिड़कियों में नक्काशी करवाई थी इस महल में अभ्रक (Mica) धातु का उपयोग भी किया गया था मोमबत्तियों की रोशनी और अभ्रक की वजह से रात के अंधेरे में भी कमरे चमकते रहते थे इस महल में सोने और चांदी के साथ संगमरमर पत्थर का प्रयोग भी किया गया है। जिससे उसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं।
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Gohar Mahal (गौहर महल) की विशेषता
महल के तीन आंगन:
इस महल में तीन विशाल आंगन हैं, जिनमें प्रत्येक की अपनी अलग विशेषता है।
दीवान-ए-आम:
पहला आंगन है “दीवान-ए-आम” यहां आम लोगों को अपनी समस्याओं और बातचीत के लिए जगह मिलती थी, नवाब यहां लोगों की बातें सुनते थे, उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाता था।
दीवाने-ए-ख़ास:
दूसरा आंगन है “दीवाने-ए-ख़ास” यहां शहर के खास ओहदे वाले लोगों को अपनी बात कहने का अवसर मिलता था, यहां नवाब और उनके सबसे करीबी सलाहकार व्यक्तियों के बीच राजनैतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा होती थी, इस आंगन में सिर्फ विशेष अतिथियों को ही आमंत्रित किया जाता था।
तीसरा और अंतिम आंगन
तीसरा और अंतिम आंगन है “बेहद सामान्य” इस आंगन से बड़े तालाब का दृश्य दिखाई देता है जो की देखने में बहुत ही सुंदर लगता है।
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Gohar Mahal (गौहर महल) की खुफिया गुफा
गौहर महल मैं एक खुफिया गुफा का निर्माण भी कराया गया था यह गुफा 45 किलोमीटर दूर जाकर रायसेन के किले में खुलती थी, अचानक हमलावरों से बचने के लिए महल और किलो में ऐसी खुफिया गुफाएं बनाई जाती थी इसका उपयोग राजा, रानी और उनके परिवार को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था।
यहाँ पर हर वर्ष हजारों लोग आते हैं और इसकी खूबसूरती का आनंद लेते हैं। गौहर महल के पास पर्यटन के लिए सभी सुविधाएँ मौजूद हैं। यहाँ पर हर प्रकार के आरामदायक होटल मौजूद हैं यहां खाने पीने की हर प्रकार की चीज भी मौजूद हैं आप यहां अपनी फैमिली के साथ आ सकते हैं और इस जगह का आनंद ले सकते हैं।
समापन:
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