Gopachal Parvat – गोपाचल पर्वत की विशेषता इतिहास एवं कहानियाँ

भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थिति ग्वालियर अपने प्राचीन किलो महलों और प्राचीन मंदिर के लिए जाना जाता है उनमें से ही एक प्राचीन जगह है Gopachal Parvat (गोपाचल पर्वत) इस पर्वत पर हजारों की तादाद में पर्वत को तराशकर जैन मूर्तियां बनाई गई हैं यहाँ पर स्थित पार्श्वनाथ मंदिर गोपाचल का श्रेष्ठ धार्मिक स्थल है, जिसे जैन धर्म का प्रमुख धार्मिक केंद्र माना जाता है। आज हम इस पर्वत के इतिहास एवं विशेषताओं के बारे में आपको बताएंगे। 

Gopachal Parvat (गोपाचल पर्वत) की विशेषता एवं इतिहास

गोपाचल पर्वत ग्वालियर में स्थित बहुत प्राचीन जगह है यहां हजारों की संख्या में जैन भगवान की मूर्तियां सन् 1398 से 1536 के बीच पर्वत को तराशकर बनाई गई है इन मूर्तियों का निर्माण तोमर वंश के राजा वीरमदेव, डूंगरसिंह व कीर्तिसिंह के शासन काल में कराया गया था। 

Gopachal Parvat
Gopachal Parvat

जैन धर्म के अनुयायियों के लिए गोपाचल पर्वत एक पवित्र स्थान है। ग्वालियर किला, जो कि पूरी दुनिया में मशहूर है उसका स्थान भी गोपाचल पर्वत पर है। इस पर्वत पर भगवान पार्श्वनाथ, केवली भगवान, और 24 तीर्थंकरों की 9 इंच से लेकर 57 फुट तक की प्रतिमाएं बनाई गई हैं, इस स्थान पर 26 गुफाएं हैं, जिनमें सभी में भगवान पार्श्वनाथ और अन्य तीर्थंकरों की खड़ी और बैठने की मुद्रा में प्रतिमाएं स्थापित हैं। जो जैन धर्म के लोगों के लिए उत्साह और श्रद्धा का प्रतीक हैं। गोपाचल पर्वत जैन धर्म के लिए धार्मिक लोगों के लिए एक प्रमुख पर्यटनस्थल है, जहां वे अपने आत्मा की शुद्धि और मन की शांति के लिए आते हैं।

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मूर्तियां नष्ट करने का दिया आदेश

इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। ऐसा ही एक घटना है जब मुगल सम्राट बाबर ने गोपाचल पर्वत पर अपना कब्जा कर लिया था। तब सम्राट बाबर ने सन् 1557 में गोपाचल पर्वत में बनाई गई मूर्तियों को नष्ट करने का आदेश दिया था। लेकिन इस प्रयास के दौरान एक घटना हुई बाबर ने भगवान पार्श्वनाथजी की मूर्ति पर हमला किया। इस हमले के समय एक अद्भुत घटना घटी, जो लोगों के हृदय में चमत्कार भर देती है।

दिव्य शक्तियों की कृपा से बाबर और उसके सैनिक की भुजाओं में शक्ति नहीं रह गई और वे वहां से भाग खड़े हुए और मूर्तियों को नष्ट नहीं कर पाए। आज भी यहां हजारों की तादाद में मूर्तियां बनी हुई है जिनमें से विश्व की सबसे बड़ी 42 फुट ऊँची भगवान पद्मासन पारसनाथ मूर्ति यहां पर स्थापित है।

गोपाचल पर्वत की गहराईयों में छिपे इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व को समझने के लिए, आपको इसे एक बार जरूर देखना चाहिए। यहां के प्राचीन मंदिर, तीर्थंकरों की प्रतिमाएं और शांतिपूर्ण वातावरण आपको शांति और आनंद का अनुभव कराएंगे।

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टिकट शुल्क

गोपाचल पर्वत मैं घूमने के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है यहां बच्चों और बड़ों दोनों की टिकट मुफ्त है।

समापन:

मुझे उम्मीद है कि आपको Gopachal Rock (गोपाचल पर्वत) से जुड़ी है जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो आप हमारे पेज को Subscribe करें या कोई (Comment) हो तो नीचे करें।

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