Gujari Mahal मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर जिले में स्थित है। यह एक प्राचीन स्मारक है जो ग्वालियर के प्रसिद्ध ग्वालियर किले के पश्चिमी भाग में स्थित है। ग्वालियर में कई प्राचीन किले, महल, और मंदिर हैं। गुजरी महल भी इनमें से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जो शहर के प्रसिद्ध ग्वालियर किले के पश्चिमी भाग में स्थित है।
भारत में कई प्रेम कहानियां लिखी गई और अमर हुईं जैसे आगरा में बना ताज महल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जो शाहजहां ने मुमताज के मरने के बाद उनकी याद में ताज महल बनवाया था। जो पूरी दुनिया में मशहूर है गुजरी महल, की भी यही कहानी है ग्वालियर में स्थित गुजरी महल भी तोमर राजपूत शासक महाराजा मान सिंह और उनकी रानी गुजरी बाई के प्रेम का प्रतीक है।
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से गुजरी महल के इतिहास और राजा और रानी के प्रेम कहानी के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
Gujari Mahal Gwalior (गुजरी महल) का इतिहास
गुजरी महल का निर्माण भारत के सबसे खूबसूरत और मशहूर किलो में से एक ग्वालियर किले के भूतल भाग मैं हुआ है इस किले का निर्माण तोमर राजपूत शासक महाराजा मान सिंह ने 15वीं सदी में अपनी रानी के लिए करवाया था गुजरी महल का नाम राजा मानसिंह की पत्नी रानी मृगनयनी जो एक गुर्जर कन्या थी जिस कारण से सभी लोग उन्हें गूजर रानी बोलते थे इसलिए इस महल का नाम गुजरी महल रखा गया।
गुजरी महल लगभग 71 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा है इसका अद्भुत आर्किटेक्चर और विशाल आंगन देखने वालों को अचंभित करता है। गुजरी महल की खूबसूरत दीवारों को खोदकर बनाई गई कलात्मक आकृतियों बहुत ही सुंदर हैं। इन दीवारों पर हाथी, घोड़े और कई प्रकार के सुंदर आकृतियां बनाई गई है जो देखने में बहुत सुंदर लगती है गुजरी महल के अंदर के भाग में में पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना 1920 में एम.वी.गर्दे ने की थी, जिसे आम जनता के लिए लगभग 1922 में खोला गया था।
अब हम राजा और रानी के प्रेम की कहानी के बारे में विस्तार से बात करेंगे। राजा मानसिंह ने एक गुर्जर कन्या के प्रेम के लिए किन-किन कठिनाइयों का सामना किया इस कहानी में राजा मान सिंह की बहादुरी और संघर्ष का वर्णन विस्तार से किया गया है।
मानसिंह जब भी किले से बाहर जाते या आते थे, वे मृगनयनी से जरूर मिलते थे। रानी से मिलने में आसानी हो, इसलिए महल से एक सुरंग सीधे नीचे गूजरी महल तक बनाई गई थी। इसी सुरंग से होते हुए महाराजा मान सिंह रानी मृगनयनी से मिलने आया करते थे।
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राजा की प्रेम कहानी
गुजरी महल की कहानी बहुत Romantic है। ग्वालियर से 25 किलोमीटर दूर राई नाम का गांव था, जहां एक गुर्जर कन्या रहा करती थी जिसे मृगनयनी नाम से बुलाया जाता था इसकी खूबसूरती की चर्चा दूर-दूर तक थी एक दिन जब राजा शिकार के लिए गांव आए, तो रास्ते में उन्हें दो भैंसे आपस में भिड़ते हुए दिखे। तभी एक बहादुर गुजरी कन्या उनके सामने आई और बीच में आकर दोनों भैंसों को अलग कर दिया। इसके बाद उस कन्या की बहादुरी और साहस को देखकर राजा मानसिंह उस कन्या के प्रेम में पड़ गए। उसकी खूबसूरती और बहादुरी ने राजा का दिल जीत लिया।
राजा मान सिंह की पहले से ही कुल आठ पत्नियाँ थी, लेकिन उनके दिल में केवल एक ही स्थान था – राई गाँव की एक गुर्जर कन्या का राजा मान सिंह ने उसके साथ प्रेम महसूस किया और अपने प्रेम का इजहार करने का निर्णय लिया। प्रेम के इस महान इजहार के साथ, राजा ने उस कन्या के साथ शादी का प्रस्ताव रखा। परंतु उसने कुछ तीन शर्तें भी रखी।
शर्तें कुछ इस प्रकार थी
- पहले शर्तें कि राजा को उसके नाम का एक महल बनाना होगा।
- दूसरी शर्तें कि जब भी गुजरी महल से बाहर जाएंगे, तो वह उनके साथ ही जाएंगी।
- तीसरी शर्तें और सबसे अहम शर्त थी कि वह सिर्फ अपने गाँव के पानी का सेवन करेगी।
राजा ने उनकी सभी शर्तों को स्वीकार किया और गुजरी महल का निर्माण करवाया।
गुजरी महल की यह कहानी हमें राजा मानसिंह के प्रेम और उनकी बहादुरी का प्रतीक दिखाती है। उन्होंने प्रेम में गुजरी कन्या की शर्तों को मानकर उसके साथ शादी की। गुजरी महल का निर्माण करवाया, जिसे आज भी याद किया जाता है।
गुजरी महल के निर्माण में राजा मानसिंह ने अपने प्रेम को दिखाया। उन्होंने उस कन्या के लिए एक शानदार महल बनवाया, जो उनके प्रेम की मिठास को दर्शाता है। इसके साथ ही, राजा ने उस गाँव से महल तक कैनाल के निर्माण भी कराया।
गुजरी महल आज भी एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। यह न केवल कहानियों का साक्षी है, बल्कि इसकी भव्यता और सुंदरता भी लोगों को प्रेरित करती है। गुजरी महल ग्वालियर के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और आज भी वहाँ आने वाले पर्यटक इसे देखने का अवसर कभी नहीं छोड़ते हैं।
घूमने का समय – सुबह 10:00 से शाम के 5:00 बजे तक
टिकट शुल्क – Indian – ₹20 Foreigners – ₹400
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समापन:
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