Sas Bahu Temple Gwalior में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, सास और बहू यह दो मंदिर हैं, जिसे सहस्रबाहु मंदिर या हरिसदानम मंदिर भी कहा जाता है। ग्वालियर किले के बगल में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
Sas Bahu Temple Gwalior का निर्माण
1093 में कच्छपघट वंश के राजा महीपाल ने इन मंदिरों का निर्माण कराया था। Sas Bahu Temple Gwalior का सुंदर आर्किटेक्चर एवं वह का वातावरण इसकी खूबसूरती को दर्शाता है, यह मंदिर ग्वालियर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
Sas Bahu Temple Gwalior का शिखर और गर्भगृह तो अब तक नष्ट हो चुके हैं, लेकिन इसकी वास्तुकला और टूटे हुए नक्काशी अब भी प्राचीन समय की सुंदर वास्तुकला की याद दिलाती है। मंदिर का मंच 100 फीट (30 मीटर) लंबा और 63 फीट (19 मीटर) चौड़ा है, सास-बहू मंदिर का निर्माण कई सदियों पहले हुआ था, मंदिर के खंडहर आज भी उस समय की कथाएं सुनाते हैं, जब यहाँ पूजा-अर्चना की जाति थीं।
इस मंदिर में मुख्य रूप से तीन प्रवेश द्वार हैं, जो तीन अलग-अलग दिशाओं से खुलते हैं। चौथी दिशा में, एक कमरा है जो वर्तमान में बंद है।, विशेष रूप से उसके प्रवेश द्वार के ऊपर ब्रह्मा, विष्णु और सरस्वती के 4 मूर्तियाँ है, जो की बहुत सुंदर है।
यहां की अलग-अलग प्रतिमाएँ और मूर्तियाँ बेहद सुंदर हैं इन्हें देखने के लिए कई पर्यटक यहां आते हैं। यहां की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई पहल की हैं जो मंदिर की दीवारों पर प्राचीन कथाओं और पौराणिक कहानियों को बयां करती है।
आज जब भी लोग इस मंदिर के खंडहरों को देखते हैं, उन्हें उस समय की विरासत और वास्तुकला का अनुभव होता है। यहाँ की वास्तुकला को देखकर आज के कलाकार भी प्रेरित होते हैं।
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